भगवान श्रीकृष्ण का मध्यप्रदेश से क्या था खास संबंध?

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि 11 साल 7 दिन की आयु में भगवान कृष्ण अपने मामा कंस का वध करने के बाद बाबा महाकाल की नगरी अवंतिका में आए थे। यहां उन्होंने 64 दिनों तक रहकर पढ़ाई की थी। आश्रम में भगवान कृष्ण की बैठे हुई मुद्रा में मूर्ति के दर्शन होते हैं।

भगवान कृष्ण के जन्म से जुड़ी बातें जब भी होती हैं, तब-तब मध्यप्रदेश के उज्जैन के सांदीपनि आश्रम का जिक्र जरुर आता है। इसी आश्रम में भगवान कृष्ण ने 64 दिन पढ़ाई करके 64 विद्याएं और 16 कलाएं सीखी और पहले जगत गुरु बने थे। इस दौरान उनके साथ भगवान बलराम और सुदामा भी साथ पढ़ते थे। भगवान कृष्ण के गुरु महर्षि सांदीपनिजी का आश्रम करीब 5 हजार 273 साल पुराना है। सांदीपनि आश्रम में गुरु सांदीपनि जी की मूर्ति के सामने चरण पादुकाओं के दर्शन होते हैं।

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि 11 साल 7 दिन की आयु में भगवान कृष्ण अपने मामा कंस का वध करने के बाद बाबा महाकाल की नगरी अवंतिका में आए थे। यहां उन्होंने 64 दिनों तक रहकर पढ़ाई की थी। आश्रम में भगवान कृष्ण की बैठे हुई मुद्रा में मूर्ति के दर्शन होते हैं। जबकि दूसरे मंदिरों में भगवान कृष्ण खड़े होकर बांसुरी बजाते हुए दिखाई देते हैं। यहां भगवान कृष्ण बाल रुप में नजर आते हैं। उनके दोनों हाथों में स्लेट और कलम हैं। इससे मालूम होता है कि वे विद्याध्ययन कर रहे हैं। देश-दुनिया से सांदीपनि आश्रम में बड़ी संख्या में दर्शन के लिए लोग आते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में धूमधाम से मनाया जाता हैं। लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते ऑनलाइन कार्यक्रम होंगे।

इसे भी पढ़ें: उन पैरों को धिक्कार, जो कभी मधुबन नहीं गये, उन नेत्रों को धिक्कार, जिन्होंने मथुरा दर्शन नहीं किये

सांदीपनि आश्रम में हुआ था हरि से हर का मिलन

सांदीपनि आश्रम में ही हरि से हर का मिलन हुआ था। हरि यानी भगवान कृष्ण और हर अर्थात भोलेनाथ। श्री कृष्ण जब सांदीपनि आश्रम में पढ़ने के लिए पहुंचे तो भगवान शिव उसने मिलने गए थे। इस दौरान भगवान शिव ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के भी दर्शन किए। कहा जाता है कि यह दर्लभ क्षण था जब हरिहर का मिलन सांदीपनि आश्रम में हुआ था। उज्जैन में भगवान कृष्ण के तीन विख्यात मंदिर हैं। पहला सांदीपनि आश्रम जहां भगवान कृष्ण ने ज्ञान प्राप्त किया था। दूसरा गोपाल मंदिर है। गोपाल मंदिर की देखरेख सिंधिया राजघराना करता है और तीसरा मंदिर इस्कॉन मंदिर हैं। तीनों मंदिरों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है।

इसे भी पढ़ें: Janmashtami 2022: भगवान श्रीकृष्ण की अलौकिक लीलाएं और जीवन दर्शन

सांदीपनि आश्रम का नाम अंकपात भी था 

सांदीपनि आश्रम का नाम अंकपात भी था। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण सांदीपनि आश्रम में स्लेट पर लिखे अंकों को धोकर मिटाते थे। इस वजह से आश्रम का नाम अंकपात भी पड़ा था। यहां गोमीकुंड भी काफी प्रसिद्ध जगह है। कहा जाता है कि 1 से 100 अंकों को एक पत्थर पर गुरु सांदीपनि ने ही अंकित किया था। कहा जाता है कि महर्षि सांदीपनि ने भगवान कृष्ण को जगत गुरु की उपाधि दी थी। यह करीब 5 हजार साल पुरानी बात कही जाती हैं। इस बारे में प्रमाण आज भी सांदीपनि आश्रम उज्जैन में मौजूद हैं।

– कमल सिंघी

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *